BE PROUD TO BE AN INDIAN

बुधवार, मार्च 21, 2018

विसंगतियों पर चिन्तन करती कृति

कविता-संग्रह - नदी को तलाश है 
कवि - डॉ. राजकुमार निजात 
प्रकाशक - एस.एन.पब्लिकेशन 
पृष्ठ - 128 
कीमत - 300 / - ( सजिल्द )
जीवन की विसंगतियों और प्रकृति के बदलते रूप पर चिन्तन करती हुई 42 मध्यम आकार की और 140 लघु आकार की कविताओं का संग्रह है ' नदी की तलाश है '| कवि को नदी का निरंतर बहना किसी तलाश पर निकलना लगता है |

                     कवि का मानना है कि प्रकृति के पास प्यार है | वह हमें मिलना चाहती है, वह कभी मर्यादा नहीं तोड़ती, वह नियमों में बंधी है | अंकुर फूटते समय मन्दिर-मस्जिद नहीं देखते | बारिश का अपना मजा है | बारिश का अलग-अलग चीजों पर अलग-अलग असर होता है | बारिश आने से नदी में उफान आ जाता है | सूरज रौशनी की बांग देता है | धरती प्यार, मुस्कान, मस्ती चाहती है | समुद्र सबको लुभाता है | कवि के अनुसार -
प्रकृति का पुत्र होना / एक बड़ी बात है /
जीवन की यह मूल्यवान / अद्भुत सौगात है ( पृ. - 80 )
कवि मानवीकरण का सहारा लेकर अनेक संदेश देता है | व्यर्थ बहता जल चिंतित हो जाता है | कवि प्रकृति के बदलते स्वरूप को देखता है | शहरों में प्रदूषण का जहर है | पहाड़ों पर भी प्रदूषण की मार है, इसलिए धूप काटती है, बादल बिन बरसे लौट जाते हैं | प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से कवि दुखी है | कवि का मानना है कि नवनिर्माण की आड़ में धरती वीरान हो रही है | प्रकृति देती है जबकि आदमी छीनता है | कवि के अनुसार हम प्रकृति को लूट रहे हैं | प्रकृति आदमी की तरह आवरण नहीं पहनती | वह मूक भाषा में बात करती है | कवि प्रकृति के माध्यम से अनेक संदेश देता है | सब कुछ चलायमान है | वे सूरज, चाँद के उदाहरण से अकेले आदमी को न डरने का संदेश देते हैं |
                           बच्चों, खासकर बेटी को कविता का विषय बनाना निजात जी का प्रिय विषय रहा है | वे बचपन को याद करते हैं | सितारे बच्चे बनकर खिलखिलाते हैं | उन्हें लगता है कि बच्चे का पहली बार स्कूल जाना किसी परिंदे की पहली उड़ान जैसा है | बेटी के खेलने से सारा आंगन निहाल हो जाता है | बेटी की मुस्कान दिन भर की थकान दूर कर देती है | वे नन्हीं गुडिया का चित्रण करते हैं | अना, कनक, गुनगुन, हिना, मुनिया आदि का जिक्र है | अना डाकिए से, माँ से, पिल्ले से वार्तालाप करती है | वह नई पीढ़ी की प्रतिनिधि है | कविताओं में मुकुल नामक लड़के का भी जिक्र है | वह छोटी बच्ची से जीतना नहीं, हारना चाहते हैं | कवि बच्चों के बस्ते की भी फ़िक्र करता है | पढ़ाई के कारण उसके पास समय का अभाव है, लेकिन संतोष की बात है कि वह पढ़ना सीख जाता है | समाज में बेटियों को अभी भी पूरा सम्मान नहीं मिला इसका कवि को क्षोभ है | बेटी के जन्म पर आज भी लोगों के चेहरे लटक जाते हैं |  सड़क चौराहे पर राधाओं को नोचा जा रहा है | कवि बलात्कारियों को भेड़िए कहता है | आधुनिक युग में भी लड़की आजाद नहीं | कवि के अनुसार लड़की कितनी भी मर्यादा में रहे उसकी शामत आ ही जाती है |
                   बच्चों के साथ-साथ माँ का भी जिक्र है - 
माँ का जागते हुए सोना / सोये-सोये जागना /
उसे माँ बना देता है ( पृ. - 38 )
कवि के अनुसार जननी का प्रेम अनंत है | बच्चे के गिरने पर माँ कराह उठती है | माँ का दूध पीकर सिर्फ बच्चा ही तृप्त नहीं होता, अपितु माँ और प्रकृति भी तृप्त हो जाती है | कवि के अनुसार माँ सिर्फ जननी ही नहीं है, वह सब कुछ होती है लेकिन सबका ख्याल रखने वाली माँ का ख्याल कोई नहीं रखता | माँ कुछ नहीं मांगती लेकिन शादी के बाद बच्चों के पास माँ के लिए समय नहीं होता |
                       कवि के अनुसार नदी, हवा व्यक्ति सब अकेले हैं | महानगरों में भागम-भाग है, वह भरा होकर रीता है | गांधी को कोई नहीं पहचानता | सच अटल नहीं रह पाता | हर कोई खिलौना बना हुआ है | दूध की नदियों की बजाए दुर्गन्ध मारते नाले हैं | कवि को नंगी तस्वीरें इंसानी चेहरे की कालिख लगती हैं | किसान मानसून का इन्तजार करता है | उसकी फसल महाजन ले जाता है | किसान-मजदूर भूखा है | इसके बावजूद रामधन जैसे बेरोजगार लोग हौसले के सहारे जी रहे हैं | स्वार्थी लोगों के बारे में वह लिखता है - 
सूनापन इनका लिबास है / यही मेरे शहर के लोगों का /
एक इतिहास है ( पृ. - 105 )
 वे आवारा घूम रही गायों का चित्रण करते हैं | गली-गली दुर्योधन-दुशासन घूम रहे हैं , वे इन पर नकेल कसने के लिए कृष्ण का आह्वान करते हैं | 
                   कवि का मानना है कि झगड़े अहम के कारण होते हैं | बंद दरवाजों में कभी धूप नहीं आती | जो ख़ुद को बंद कर लेते हैं वे कहीं नहीं पहुँच पाते | लोग दीन-दरिद्र की मदद करने की बजाए पशुओं को पालना उचित समझते हैं | कवि को मन्दिर के अंदर और बाहर मौजूद लोग एक से भिखारी नजर आते हैं -
देने के लिए हमारे पास / दिल नहीं है /
और लेने के लिए / तैयार हैं /
भीख में सारा खजाना ( पृ. - 92 )
वे यह भी कहते हैं कि भिक्षा बड़े घर वाले नहीं बड़े दिल वाले देते हैं | उनके अनुसार जो सबके काम आता है वही महान है - 
इस संसार में , निस्स्वार्थ भाव से / 
जो देना सीख जाता है / वह महान हो जाता है ( पृ. - 81 )
कवि के अनुसार हमारा जीवन विरोधाभासों से भरा हुआ है | दिखावे का जमाना, आडम्बर की प्रधानता है | मृत्युभोज को वे व्यर्थ मानते हैं | उनके अनुसार नेताओं के भ्रष्ट होने के कारण बच्चों को दी शिक्षा बे'मानी है | वे सवाल करते हैं कि वह दिन कब आएगा जब सब कुछ ठीक होगा | वे सवाल करते हैं - 
कब छटेगा आखिर / दूर तक पसरा धुंधलका ( पृ. - 27 )
                        उनके अनुसार यहाँ सन्नाटा हो, वहां कोई नहीं जाना चाहता | वे प्रेमधार बहाना चाहते हैं | सबके लिए सपने देखने की बात करते हैं | उदासी के पलों में गीत गाने का संदेश देता है | सूनी पगडंडियों से बतियाना चाहते हैं | नए सूरज-चाँद तलाशकर उनकी रौशनी से घर-घर को सजा देना चाहता है | वह उनके लिए सपने उगाने की बात करटे हैं, जिन्हें आश्वासनों का सूखा मिला है | वे कहते हैं कि किसी छोटे का मजाक नहीं उड़ाया जाना चाहिए | हर बूँद का अपना महत्त्व है - 
एक बूँद लिखती है / एक पूरा इतिहास /
एक बूँद में होता / एक जीवन का वास ( पृ. - 90 )
उनके अनुसार नए युग में पुरानी परम्पराएं टूट रही हैं |कवि इस सदी को सबसे गतिशील मानता है | उनके अनुसार गतिशीलता ही जीवन है | वे गंगा को भारतियों की जीवनधारा मानते हैं | उनका मानना है कि जो व्यक्ति पर्दे की पीछे रहकर काम करता है, उसकी कद्र नहीं होती | उनको आशा है कि समय का न्याय शीशे जैसा साफ़ होगा | वे अद्भुत दवा खोजना चाहते हैं | वे सबको ख़ुद को समर्पित कर देने का संदेश देता हैं | वे कर्म को महत्त्व देते हैं - 
भाग्य तो आदमी / स्वयं अपने हाथों से /
बनाता है  ( पृ. - 81 )
                              निजात जी की कविताओं में यथार्थ का चित्रण भी है और आदर्श का पुट भी | वे आशावादी हैं | सरल-सहज शब्दावली में गंभीर बात करते हैं | उनकी कविताएँ मुक्त छंद में हैं, लेकिन कहीं-कहीं तुकांत का प्रयोग है | अलंकारों का सहज प्रयोग है | मानवीकरण के अनेक उदाहरण मिलते हैं | रूपक का सुंदर प्रयोग देखिए - 
सूरज टिका रहे / देर तक वहीं एक जगह /
बाँटता रहे / धूप की गर्म-गर्म रोटियाँ ( पृ. - 110 )
                      संक्षेप में, भाव पक्ष और शिल्प पक्ष की दृष्टि से ' नदी को तलाश है ' एक महत्त्वपूर्ण कृति है | कवि इसके लिए बधाई का पात्र है |
दिलबागसिंह विर्क 
           ********            

1 टिप्पणी:

Anita ने कहा…

'नदी को तलाश है' की सुंदर समीक्षा ! कवि डा.राजकुमार निजात जी तथा दिलबाग जी को बहुत बहुत बधाई !

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...