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मंगलवार, दिसंबर 27, 2016

प्रबंध और मुक्तक काव्य का मिला-जुला रूप

काव्य-संग्रह - पुरुषोत्तम 
कवयित्री - मनजीतकौर मीत 
प्रकाशक - अमृत प्रकाशन, दिल्ली 
पृष्ठ - 128 ( सजिल्द ) 
कीमत - 200 /-
इतिहास और मिथिहास के अनेक पात्र कवि हृदयों को आकर्षित करते आए हैं, लेकिन जिन पर पूर्व में विस्तार से लिखा जा चुका हो, उन्हें पुन: लिखना बहुत बड़ी चुनौती होता है और जब रामचरितमानस जैसा महाकाव्य उपलब्ध हो तब वही राम कथा लिखना अत्यधिक साहस की मांग करता है | कवयित्री " मनजीतकौर मीत " ने अपनी पहली पुस्तक " पुरुषोत्तम " का सृजन करते हुए ये साहस दिखाया है, जिसके लिए वे बधाई की पात्र हैं | ' पुरुषोत्तम ' प्रबंध और मुक्तक काव्य का मिला-जुला रूप कहा जा सकता है | इसमें रामकथा क्रमानुसार है, लेकिन इसमें शामिल जो 70 रचनाएँ हैं, वे अपने आप में स्वतंत्र भी हैं |

मंगलवार, दिसंबर 20, 2016

सामाजिक सोच में परिवर्तन की तड़फ है काव्य-संग्रह

समीक्षक – डॉ. अनिल सवेरा 
829, राजा गली, जगाधरी 
हरियाणा – 135003
मो. – 94163-67020
प्राप्ति स्थान - 1. Redgrab 
                       2. Amazon
महाभारत जारी है ’ कवि दिलबागसिंह विर्क रचित नवीनतम काव्य-संग्रह है, जिसे उन्होंने सामर्थ्यवान लोगों की बेशर्म चुप्पी को समर्पित किया है | कवि के भीतर भी एक महाभारत मची है | उसी का परिणाम है यह काव्य-संग्रह | कवि समाज की सोच में परिवर्तन चाहता है | ऐसा परिवर्तन, जिससे समाज में सुधार हो | ‘ चश्मा उतार कर देखो ’, ‘ अपाहिज ’, और ‘ मेरे गाँव का पीपल ’ इसी विषय पर आधारित रचनाएं हैं | 

सोमवार, दिसंबर 12, 2016

लिव-इन-रिलेशनशिप को जायज ठहराता नॉवेल

नॉवेल - मुसाफ़िर Cafe
लेखक - दिव्य प्रकाश दुबे 
प्रकाशक - हिन्द युग्म & Westland Ltd.
कीमत - 150 /-
पृष्ठ - 144 ( पेपरबैक )
हिंदी ‘ नॉवेल ’ | उपन्यास को अब नॉवेल ही कहना ठीक होगा | हिंदी उपन्यास को पढ़ते हुए जब अंग्रेजी शब्दकोश को देखना पड़े तो फिर हिंदी उपन्यास ही क्यों पढ़ा जाए, अंग्रेजी नॉवेल क्यों नहीं ? दिव्य प्रकाश दुबे का उपन्यास “ मुसाफ़िर Cafe ” पढ़ते हुए यही ख्याल आया | अंग्रेजी शब्दावली का प्रयोग पहली बार हुआ हो ऐसा नहीं लेकिन अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी की बजाए रोमन में लिखने का चलन हिन्द युग्म प्रकाशन का सुनियोजित क़दम है और संभव है भविष्य में हिंदी उपन्यास और हिंदी Novel अलग-अलग विधाएं हो जाएं लेकिन एक बात है कि जब अंग्रेजी शब्दों को रोमन में लिखना था तो सभी अंग्रेजी शब्दों को ही रोमन में लिखा जाना चाहिए था | कहीं-कहीं यह प्रयोग लेखक और प्रकाशक भूल गए लगते हैं, जैसे चौराहा और हरिद्वार अध्याय में बहुत से अंग्रेजी शब्द हैं – अबोर्ट, प्रेजेंट, रिवाइंड, कनेक्शन, ट्रेनिंग, एडजस्टमेंट आदि | देवनागरी में अंग्रेजी शब्दावली का प्रयोग अन्यत्र भी है | ऐसे में दोहरे मापदंड रखने के पीछे कोई उद्देश्य समझ नहीं आया | भाषा का यह प्रयोग हिंदी को कितना बिगाड़ेगा या हिंदी साहित्य का कितना भला करेगा यह भविष्य पर छोड़ते हुए इस उपन्यास में कई अन्य अच्छे-बुरे पहलुओं पर नजर दौड़ाई जा सकती है |  

बुधवार, दिसंबर 07, 2016

आम जन की सोच बदलने का कार्य करता चालीसा

काव्य कृति - दिव्यांग चालीसा
कवि - डॉ. राजकुमार निजात
कीमत - निःशुल्क 
जिनके लिए पहले विकलांग या अपाहिज शब्द का प्रयोग किया जाता था, उनके लिए अब दिव्यांग शब्द को अपनाया गया है । अपने आप में शब्द का कोई महत्त्व नहीं होता । दरअसल समस्या शब्द के अर्थ से नहीं, सोच से होती है । दुर्भाग्यवश हम भारतीय लोग बाहरी रंग-रूप को ज्यादा ही महत्त्व देते हैं । गोरे रंग का मोह भी इसी का एक रूप है । यदि यह कहा जाए कि ज्यादातर लोगों की सोच दिव्यांग या विकलांग है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।

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