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सोमवार, जून 27, 2016

आशा, निराशा, अविश्वास और विद्रोह की बात करता संग्रह

कविता-संग्रह – अकुलाहटें मेरे मन की
कवयित्री – महिमा श्री 
प्रकाशक – अंजुमन प्रकाशन 
पृष्ठ – 112 ( पेपरबैक )
कीमत120/- ( साहित्य सुलभ संस्करण के अंर्तगत 20/- ) 
समाज में व्याप्त बुराइयाँ,  भेद-भाव हर भावुक इंसान को व्याकुल करते हैं | कवयित्री ‘ महिमा श्री ’ भी इसी व्याकुलता को अपने कविता संग्रह “ अकुलाहटंक मेरे मन की ” में अभिव्यक्ति करती है | समसामयिक मुद्दों को लेकर भी उनकी कलम चलती है और शाश्वत मुद्दों पर भी |

मंगलवार, जून 14, 2016

तमाम रंगों में रंगी शायरी

पुस्तक - आज के प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र 
संपादक - कन्हैयालाल नन्दन 
प्रकाशक - राजपाल प्रकाशन 
कीमत - 150 / - ( पेपर बैक )

ग़ज़ल की विशेषता यह है कि इसके अकेले-अकेले शे'र लोगों की जबान पर चढ़कर अमरता हासिल कर लेते हैं| शायरी में रुचि रखने वाला हर शख्स इन पंक्तियों से वाकिफ होगा ही - 

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए | 

ऐसे अनेक अमर अशआर के रचयिता हैं बशीर बद्र साहब | राजपाल प्रकाशन की ' आज के प्रसिद्ध शायर ' श्रृंखला के अंतर्गत बशीर बद्र की प्रतिनिधि रचनाओं का संचयन, संपादन किया है - कन्हैयालाल नन्दन ने | पुस्तक के अंत में प्रकाशक की टिप्पणी है - 

" बशीर बद्र मुहब्बत के शायर हैं और उनकी शायरी का एक-एक लफ्ज़ इसका गवाह है | मुहब्बत का हर रंग उनकी ग़ज़लों में मौजूद है | उनका पैगाम मुहब्बत है - जहां तक पहुंचे |"

बुधवार, जून 01, 2016

134 ए : शिक्षा के निजीकरण की ओर एक कदम

शिक्षा का जीवन में स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है | दरअसल शिक्षा ही मानव को मानव बनाती है | प्रत्येक राष्ट्र का कर्त्तव्य बनता है कि वह अपने नागरिकों को शिक्षित करे | आजादी के बाद ही नहीं, अपितु आजादी के पूर्व भी भारत में निशुल्क शिक्षा का समर्थन किया गया | स्वर्गीय गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में ही भारत में 'मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा' के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद् के समक्ष प्रस्ताव रखा था, लेकिन तब सत्ता अंग्रेजों के हाथ में थी | स्वतन्त्रता के बाद भारतीय संविधान में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का आश्वासन दिया गया और इसे नीति निर्देशक सिद्धांतों में रखा गया लेकिन जब इसे पर्याप्त नहीं समझा गया तो 86 वें संशोधन के अंतर्गत 2002 में देश के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया, इसे अनुच्छेद 21 (क) के अंतर्गत संविधान में जोड़ा गया | शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लिए एक कच्चा मसौदा विधेयक 2005 में प्रस्तुत किया गया, 2009 में इस अधिनियम को स्वीकृति मिली और 1 अप्रैल 2010 से इसे भारत में लागू कर दिया गया । मुफ्त शिक्षा के लिए 134 ए का भी प्रावधान किया गया | गरीब परिवारों के लिए इसे अच्छा माना जा सकता है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव सरकारी स्कूलों पर अवश्य पड़ेगा और यह शिक्षा के निजीकरण की ओर एक कदम हो सकता है | 

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