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गुरुवार, अक्तूबर 04, 2012

हो न हो - सुधीर मोर्य का प्रेम काव्य

कविता संग्रह - हो न हो 
कवि - सुधीर मौर्य सुधीर 
प्रकाशक - मांडवी प्रकाशन, गाजियाबाद 
पृष्ठ  -  128
मूल्य - 100 रु 
हो न हो - युवा कवि सुधीर मोर्य सुधीर का तीसरा काव्य संग्रह है । यह उनकी पांचवीं पुस्तक है । कवि के अनुसार वे गुप्त, पन्त, निराला और दिनकर जी से प्रभावित हैं । उनके खुद के अनुसार इस संग्रह की रचनाएं उनके पहले दो संग्रहों की रचनाओं से बेहतर हैं ।
                  हो न हो वास्तव में पठनीय काव्य संग्रह है जिसमें मुक्त छंद कविता, तुकान्तक कविता और गीत हैं । पहली नजर में यह प्रेम काव्य है जिसमें प्रेमिका की खूबसूरती का निरूपण है, प्रेमिका की याद है, प्रेमिका की बेवफाई है अर्थात संयोग वियोग दोनों में कवि ने कविता लिखी है । गरीबी और जाति प्रेम में बाधक है । कविताओं में इस स्थिति का वर्णन करके कवि समाज का कुरूप चेहरा दिखाता है ।

मंगलवार, जून 12, 2012

विराज के दुखों की गाथा है बिराज बहू

शरतचंद्र का उपन्यास बिराज बहू विराज के दुखों की गाथा है । पति के कोई काम न करने का दुःख उठाती है विराज । ननद को दिए गए दहेज़ और अकाल के कारण आई गरीबी का दुःख  उठाती है विराज । सतीत्व में सावित्री से प्रतिस्पर्द्धा करने को उत्सुक विराज सतीत्व से लड़खड़ा जरूर जाती है लेकिन पतित होने से पूर्व ही वह खुद को संभाल लेती है और अंत में पति के पास रहते हुए वैसी ही मृत्यु को प्राप्त होती है जैसी कि विराज के अनुसार एक सती को मिलनी चाहिए ।

बुधवार, मई 30, 2012

खट्टी-मीठी फेसबुक

इन्टरनेट ने आज अपनी पहुंच आम आदमी तक बना ली है | विकसित देशों में तो यह पहले ही काफी प्रचलित था , अब भारत जैसे विकासशील देशों में भी इसका प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है | इन्टरनेट प्रयोग करने वाले देशों में भारत अमेरिका , चीन के बाद तीसरे नम्बर पर है |

शनिवार, अप्रैल 07, 2012

डॉ. रूप देवगुण का समीक्षात्मक ग्रंथ- हरियाणी के इक्कीस काव्य-संग्रह

कविता , ग़ज़ल ,  कहानी , लघुकथा , समीक्षा और संपादन संबंधी 30 पुस्तकों के रचयिता हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रूप देवगुण जी , सेवानिवृत स्नातकोतर विभागाध्यक्ष ( हिंदी ) , राजकीय नैशनल महाविद्यालय सिरसा , ने हरियाणा के कवियों द्वारा रचित 21 काव्यों की समीक्षा अपने समीक्षा ग्रन्थ " हरियाणा के इक्कीस काव्य संग्रह " में की है । इस ग्रन्थ में शामिल पुस्तकें हैं -----
1.   मेरे पास आकाश नहीं है  - किरन मल्होत्रा
2.   रेत पर बने पदचिन्ह       - मीनाक्षी आहूजा 
3.   निर्णय के क्षण                - दिलबाग विर्क 

शुक्रवार, मार्च 09, 2012

शिक्षा का हाल बताते दो किस्से

RTE के अंतर्गत पहली से लेकर आठवीं तक के किसी भी विद्यार्थी को फेल नहीं करना , उसका नाम नहीं काटना । पत्र-पत्रिकाओं में यह सूचना इतने जोर-शोर से बताई गई कि बच्चा- बच्चा इससे परिचित है । इसके अतिरिक्त अध्यापक को बच्चों को डांटने तक का अधिकार नहीं है , यह बात भी आज के बच्चे जानते हैं । इन सब बातों के परिणाम भविष्य में हम सबके सामने होंगे, लेकिन फिलहाल जो माहौल बन रहा है उसकी बानगी इन दो बातों से हो सकती है। ये दोनों बातें मेरे दोस्तों के साथ घटी और शत-प्रतिशत सही हैं ।

शुक्रवार, मार्च 02, 2012

चुप बैठी सरकार


मानें ना कानून को , स्वयंभू हुए आप । 
लेकर सत्ता हाथ में , करे फैसले खाप ||
करे फैसले खाप , रहे तोड़-फोड़ जारी |
हो कोई भी बात , ट्रैक रोंकें नर-नारी ||
लोग हैं परेशान, न दु:ख किसी का जानें |
पशुतुल्य हुए भीड़, कब किसी की ये मानें ||

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अदालत लगाती रही , बार-बार फटकार |
बनकर भोली-बावली , चुप बैठी सरकार ||
चुप बैठी सरकार , करे पक्षपात भारी |
चहेते बने गेस्ट , मार पात्रों को मारी ||
करें हैं हेर-फेर , बनाई कैसी आदत |
ना करना अन्याय , देख रही है अदालत ||

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दिलबागसिंह विर्क 
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बुधवार, फ़रवरी 22, 2012

अतिथि कब जाओगे ?

जी नहीं, मैं फिल्म की बात नहीं कर रहा अपितु बात कर रहा हूँ उस ड्रामे की जो हरियाणा में चल रहा है । फिल्म में अतिथि आखिर में वापिस चला जाता है लेकिन हरियाणा के  अतिथि  कोर्ट के बार-बार कहने पर भी नहीं जा रहे । अब ताजा फैसला आया है माननीय सुप्रीम कोर्ट का । सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकार  अतिथि अध्यापकों के दवाब में काम कर रही है । यह बात ही बताती है कि सरकार की कार्यशैली कैसी है ।

शुक्रवार, जनवरी 13, 2012

भाईचारे को बढ़ाने वाला त्योहार है लोहडी़


लोहड़ी पंजाब और पंजाबी संस्कृति से जुड़े लोगों का प्रमुख त्यौहार है. हर त्यौहार के साथ वो चीजें जुडी रहती हैं जिन दिनों में त्यौहार मनाया जाता है. लोहड़ी का त्यौहार पूस की अंतिम रात्रि को मनाया जाता है और उत्तर भारत में पूस अत्यंत ठंड का महीना है. ठंड में अलाव जलाए जाते हैं और मूंगफली सामान्य जन का प्रमुख मेवा है. इसलिए इस त्यौहार से आग, मूंगफली, रेवड़ी , गच्चक गहरे रूप से जुड़े हुए हैं .

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