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सोमवार, नवंबर 21, 2011

क्या यह चोरी नहीं ?


सुधि पाठकों के सामने दो लघुकथाएँ प्रस्तुत कर रहा हूँ. एक लघुकथा मेरी है, जो अक्षर खबर पत्रिका के लघुकथा अंक में सितम्बर 2005 में प्रकाशित हुई थी, दूसरी लघुकथा श्रीमती इंदु गुप्ता जी की है, जो 21 नवम्बर 2011 को दैनिक जागरण के सांझी अंक में प्रकाशित हुई है। इन दोनों लघुकथाओं को पढकर बताइए क्या यह चोरी का मामला है या नहीं ? यहाँ मैं यह भी बताना चाहूँगा कि अक्षर खबर पत्रिका के जिस अंक में मेरी लघुकथा प्रकाशित हुई थी, उस अंक में इंदु गुप्ता जी की लघुकथाएं भी प्रकाशित हुई थी । 

गुरुवार, नवंबर 10, 2011

हरियाणा में शिक्षा का गिरता स्तर

शिक्षा आज की सबसे बड़ी जरूरत है ।  शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत प्रयास हो रहा है ।  हर बच्चा शिक्षा प्राप्त करे इसके लिए शिक्षा का अधिकार लागू किया गया है । साक्षरता की दर संभवत: बढ़ी भी है, लेकिन शिक्षा को लेकर जो स्थिति अब भी भारत में है वह बहुत संतोषजनक नहीं ।  

बुधवार, नवंबर 02, 2011

कपट, षड्यंत्र, नाजायज संबंधों का महाकाव्य - पथ का पाप

हिंदी के उपन्यासकार डॉ. रांगेय राघव का उपन्यास '' पथ का पाप '' पाप की कहानी है. यह धोखे, षड्यंत्र, अनैतिक सम्बन्धों से भरा पड़ा है. उपन्यास का नायक किशनलाल धोखेबाज़, ठग, मित्रघाती, वेश्यागमन करने वाला और पराई स्त्री पर बुरी नजर रखने वाला है, लेकिन इन तमाम बुराइयों के बावजूद वह खुद को पाक-साफ साबित करने में सफल रहता है. अपने रास्ते में आए हर कांटे को वह बड़ी चतुराई से निकाल देता है.

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