BE PROUD TO BE AN INDIAN

बुधवार, अक्तूबर 19, 2011

चुनावों में फिर भारी पड़ा जातिवाद का मुद्दा

लोकतंत्र एक अच्छी शासन प्रणाली अवश्य है, लेकिन लोकतंत्र पढ़े-लिखे और समझदार समाज की भी मांग करता है । दुर्भाग्यवश भारत की जनता अभी तक लोकतंत्र को सही अर्थों में समझने लायक नही हुई. ।चुनाव से पहले देश में अलग तरह का माहौल होता है और चुनाव आते ही देशवासी पूर्वाग्रहों में ग्रस्त होने लगते हैं । जाति, धर्म और क्षेत्र को इतनी मजबूती से पकड़ा जाता है कि लोकतंत्र दम तोड़ जाता है । 

शनिवार, अक्तूबर 15, 2011

प्रेम की तलाश में भटकाव की कथा है - चरित्रहीन

बांगला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का प्रसिद्ध उपन्यास चरित्रहीन प्रेम की तलाश में भटकाव की कहानी है. यह भटकाव है हारान की पत्नी किरणमयी का. वह अपने पति से संतुष्ट नहीं क्योंकि उसका कहना है कि पति से उसके सम्बन्ध महज गुरु-शिष्य के हैं, इसीलिए वह हारान का इलाज करने आने वाले डॉक्टर अनंगमोहन से सम्बन्ध बना लेती है, लेकिन बाद में उसे ठुकराकर उपेन्द्र की तरफ झुकती है. उपेन्द्र अपने एकनिष्ठ पत्नी प्रेम के कारण उसके प्रेम निवेदन को ठुकरा देता है, लेकिन वह अपने प्रिय दिवाकर को पढाई के लिए उसके पास इस उम्मीद से छोड़ जाता है कि वह उसका ध्यान रखेगी, लेकिन वह उसी पर डोरे डाल लेती है और उसे भगाकर आराकान ले जाती है, लेकिन उनके सम्बन्ध स्थायी नहीं रह पाते.

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